भोपाल, 19 जुलाई (भाषा) स्वशासित और आत्मनिर्भर ग्राम समाज ही ग्रामीण गरीबी और सामाजिक-आर्थिक असमानता को समाप्त करने की कुंजी है और यह केवल मजबूत पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से ही संभव है। यह बात विशेषज्ञों ने यहां एक कार्यक्रम में कही।
पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि स्वशासित और आत्मनिर्भर ग्राम-समाज के बिना ग्रामीण पुनर्जागरण संभव नहीं है। ग्रामीण गरीबी और सामाजिक-आर्थिक असमानता को समाप्त करने की दिशा में मजबूत पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से ही संभव है।
वह मंगलवार को शासकीय अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पॉलिसी एनालिसिस (एआईजीजीपीए) में ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ (टीआरआई) द्वारा आयोजित इंडिया रूरल कोलोक्वी (आईआरसी) के तीसरे संस्करण को संबोधित कर रहे थे।
टीआरआई के अनुसार, आईआरसी सरकारी नीतियों को बढ़ाने, हितधारकों को सशक्त बनाने और गांवों में समानता पैदा करने का प्रयास करता है।
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह राज्य-स्तरीय सम्मेलन सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आर्थिक विकास, नौकरियों और एक लचीले वातावरण तक सार्वभौमिक पहुंच के आशावादी और कार्रवाई योग्य पुनर्जागरण एजेंडे की दिशा में दिशात्मक दृष्टि और सार्वजनिक कथा पर केंद्रित है।
यूनिसेफ (एमपी) की प्रमुख मार्गरेट ग्वाडा ने इस अवसर पर कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण और प्रवर्धन महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्यादातर मामलों में समाधान जमीनी स्तर पर उपलब्ध हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए बच्चों की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वे स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, स्वच्छता, सुरक्षा और शिक्षा की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया, मध्य प्रदेश की स्टेट लीड नेहा गुप्ता ने कहा, ‘‘टीआरआई आम आदमी की आवाज़ सुनने के लिए प्रतिबद्ध है और हम भविष्य की कार्रवाई के लिए हमेशा उनकी राय को अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे।’’
Source: The Print Hindi
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